केन्द्र सरकार ने आम जनता के हितों की रक्षा के लिए निधि नियम, 2014 में संशोधन किया
नियमों में प्रावधान किया गया है कि निधियों के रूप में कार्य करने की इच्छुक सार्वजनिक कंपनियों को जमा स्वीकार करने से पहले केन्द्र सरकार से पूर्व घोषणा प्राप्त करनी होगी
कम्पनी कानून, 1956 के तहत, एक निधि या म्यूचुअल बेनेफिट सोसाइटी का अर्थ एक ऐसी कम्पनी है जिसे केन्द्र सरकार ने अधिसूचना द्वारा आधिकारिक राजपत्र में निधि या म्यूचुअल बेनिफिट सोसाइटी के रूप में घोषित किया है। कम्पनी कानून, 2013 के तहत, शुरू में किसी कम्पनी को निधि कम्पनी के रूप में कार्य करने के लिए केन्द्र सरकार से घोषणा प्राप्त करने की कोई आवश्यकता नहीं थी। ऐसी कम्पनियों को केवल निधि के रूप में शामिल करना आवश्यक होता था और निधि नियमावली के नियम 5 के उप-नियम (1) के तहत आवश्यकताएं पूरी करनी होती थीं, जैसे कि 200 की न्यूनतम सदस्यता, 10 लाख रुपये की शुद्ध स्वामित्व वाली निधि (एनओएफ), एनओएफ को 1:20 के अनुपात में जमा करना होता था और निधि नियम, 2014 के प्रारंभ होने के एक वर्ष के भीतर 10 प्रतिशत भार मुक्त जमा राशि नियत वाणिज्यिक बैंकों या डाकघरों में जमा करनी होती थी।
कम्पनी कानून, 2013 के कार्यान्वयन से उत्पन्न मुद्दों पर सिफारिशें करने के लिए मंत्रालय में एक समिति गठित की गई थी और अन्य बातों के साथ, यह महसूस किया गया कि निधि के रूप में घोषणा के लिए केन्द्र सरकार की मंजूरी के लिए आवश्यक कम्पनी कानून, 1956 के तहत पूर्व में किए गए प्रावधान उपयुक्त हैं क्योंकि वे ऐसी संस्थाओं के नियमन के लिए एक केन्द्रीकृत और अधिक प्रतिबंधात्मक ढांचा प्रदान करते हैं और तदनुसार कम्पनी कानून, 2013 की धारा 406 में 15.08.2019 से संशोधन किया गया, ताकि केन्द्र सरकार द्वारा निधि के रूप में घोषणा की आवश्यकता को वापस लाया जा सके।
कम्पनी कानून, 2013 में 15.08.2019 के संशोधन और निधि नियमों, 2014 में परिणामस्वरूप 15.08.2019 से हुए संशोधन के बाद निधियों के रूप में शामिल की गई कम्पनियों के लिए यह अनिवार्य था कि वे शामिल होने के 14 महीनों के भीतर घोषणा के लिए फॉर्म एनडीएच-4 में केन्द्र सरकार को आवेदन करें, यदि उन्हें निधि (संशोधन) नियमों के 15.08.2019 से प्रभावी होने के बाद और निधि (संशोधन) नियमों के लागू होने के 09 महीने के भीतर, 2014 के बाद लेकिन 15.08.2019 से पहले निधि के रूप में शामिल किया जाता है।
कम्पनी कानून, 1956 के तहत लगभग 390 कम्पनियों को केवल निधि कम्पनी घोषित किया गया था। 2014-2019 के दौरान, दस हजार से अधिक कम्पनियों को शामिल किया गया। हालांकि, घोषणा के लिए केवल 2,300 कंपनियों ने एनडीएच-4 फॉर्म में आवेदन किया। फॉर्म एनडीएच-4 की जांच से पता चला है कि कम्पनियां कानून और निधि नियम, 2014 (संशोधित) के लागू प्रावधानों का पालन नहीं कर रही हैं। आम जनता के हितों की रक्षा के लिए, यह अनिवार्य हो गया है कि इसका सदस्य बनने से पहले, किसी को भी केन्द्र सरकार द्वारा एक कम्पनी को निधि के रूप में घोषित करना सुनिश्चित करना चाहिए और इसके लिए नियमों में कुछ आवश्यक/महत्वपूर्ण संशोधन किए गए हैं जो निधि (संशोधन) नियम, 2022 के बाद शामिल की जाने वाली कम्पनियों पर निम्नानुसार लागू है:-
- 10 लाख रुपये की शेयर पूंजी के साथ निधि के रूप में शामिल एक सार्वजनिक कंपनी को खुद को निधि के रूप में घोषित कराने के लिए शामिल होने के 120 दिनों के भीतर 20 लाख रुपये का एनओएफ के साथ सबसे पहले 200 की न्यूनतम सदस्यता के साथ फॉर्म एनडीएच-4 में आवेदन करना होगा।
- कम्पनी के प्रमोटरों और निदेशकों को नियमों में निर्धारित फिट और उचित व्यक्ति के मानदंडों को पूरा करना होगा।
- समय पर निपटान के लिए, संशोधित नियमों में यह भी प्रावधान किया गया है कि यदि केन्द्र सरकार एनडीएच-4 के रूप में कम्पनियों द्वारा दायर आवेदनों की प्राप्ति के 45 दिनों के भीतर कोई निर्णय नहीं लेती है, तो मंजूरी को स्वीकृत माना जाएगा। यह ऐसी कम्पनियों के लिए लागू होगा जिन्हें निधि (संशोधन) कानून, 2022 के बाद शामिल किया जाएगा।