केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कुछ खनिजों के सम्बन्ध में रॉयल्टी की दर को स्पष्ट करने के लिये खान और खनिज (विकास एवं नियमन) अधिनियम, 1957 की दूसरी अनुसूची में संशोधन को मंजूरी दी

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने ग्लूकोनाइट, पोटाश, एमराल्ड, प्लेटिनम समूह की धातुएं (पीजीएम), एंडेलूसाइट, सिलिमाइट और मॉलिबडेनम जैसे कुछ खनिजों के सम्बन्ध में रॉयल्टी की दर को स्पष्ट करने के लिये खान और खनिज (विकास एवं नियमन) अधिनियम, 1957 (इसे आगे “अधिनियम” कहा जायेगा) की दूसरी अनुसूची में संशोधन करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

इस मंजूरी से ग्लूकोनाइट, पोटाश, एमराल्ड, प्लेटिनम समूह की धातुओं, एंडेलूसाइट, सिलिमाइट और मॉलिबडेनम के सम्बन्ध में खनिज ब्लॉकों की नीलामी सुनिश्चित होगी, जिसके परिणामस्वरूप इन खनिजों के आयात में कमी आयेगी, खनन सेक्टर में रोजगार के अवसर पैदा होंगे और निर्माण सेक्टर, समाज के सबसे बड़े वर्ग के समावेशी विकास को सुनिश्चित करने में सक्षम होगा।

इस मंजूरी से उन कई खनिजों के आयात का विकल्प तैयार होगा, जो देश की अर्थव्यवस्था के लिये जरूरी हैं। इस तरह मूल्यवान विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी। खनिजों के स्थानीय उत्पादन के जरिये दूसरे देशों पर देश की निर्भरता कम होगी। इस मंजूरी से देश में पहली बार ग्लूकोनाइट, पोटाश, एमराल्ड, प्लेटिनम समूह की धातुएं, एंडेलूसाइट, सिलिमाइट और मॉलिबडेनम के सम्बन्ध में खनिज ब्लॉकों की नीलामी सुनिश्चित होगी।

खनिज रियायतों के नये कानूनी दौर में प्रवेश के लिये अधिनियम में 2015 में संशोधन किया गया था। यह काम नीलामी के जरिये किया गया था, ताकि देश की खनिज सम्पदा के आबंटन में पारदर्शिता और भेदभाव रहित प्रक्रिया सुनिश्चित की जा सके। नीलामी पद्धति तब से अब तक परिपक्व हो चुकी है। खनिज सेक्टर में और तेजी लाने के लिये अधिनियम को 2021 में फिर संशोधित किया गया। सुधारों के तहत, सरकार ने खनिज ब्लॉकों की नीलामी को बहुत बढ़ावा दिया, उत्पादन में बढ़ोतरी की, देश में व्यापार सुगमता में सुधार किया और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में खनिज उत्पादन का योगदान बढ़ाया।

आत्मनिर्भर भारत के बारे में माननीय प्रधानमंत्री की परिकल्पना के अनुरूप खान मंत्रालय ने देश में खनिजों की पड़ताल को बढ़ाने के लिये अनेक कदम उठाये हैं, जिसके परिणामस्वरूप नीलामी के लिये अधिक ब्लॉक उपलब्ध हो गये हैं। अन्वेषण गतिविधियां न केवल लौह अयस्क, बॉक्साइट, चूना पत्थर जैसे पारंपरिक खनिजों के सम्बन्ध में ही नहीं बढ़ीं, बल्कि गहराई में उपलब्ध खनिजों, उर्वरक खनिजों, महत्त्वपूर्ण खनिजों और आयात किये जाने वाले खनिजों की पड़ताल में भी बढ़ोतरी हुई है।

पिछले चार-पांच वर्षों में भारतीय भौगोलिक सर्वेक्षण और मिनरल एक्सप्लोरेशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड जैसी केंद्रीय एजेंसियों ने अन्वेषण किया और देश में खनिजों के उन तमाम ब्लॉकों के बारे में राज्य सरकारों को रिपोर्ट सौंपी, जहां अब तक खनन नहीं हुआ था। जब बात ग्लूकोनाइट, पोटाश, एमराल्ड, प्लेटिनम समूह की धातुएं (पीजीएम), एंडेलूसाइट, सिलिमाइट और मॉलिबडेनम की आती है, तो देश इन खनिजों की अपनी जरूरतें पूरी करने के लिये आयात पर पूरी तरह निर्भर है। खनिज आत्मनिर्भरता के लिये कई राज्य सरकारों ने नीलामी के लिए ऐसे खनिज ब्लॉकों की पहचान की है। बहरहाल, इन खनिजों के लिये रॉयल्टी दर अलग से नहीं दी जाती थी और इन खनिजों के उत्खनन में तेजी लाने के लिये उचित भी नहीं था।

अतः मंत्रालय ने नीलामी में बेहतर भागीदारी को प्रोत्साहन देने के लिये रॉयल्टी की तर्कसंगत दर का प्रस्ताव किया था, जिसे प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है। राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के साथ विस्तृत परामर्श करने के बाद इन दरों को तय कर दिया गया है। खान मंत्रालय इन खनिजों के औसत बिक्री मूल्य (एएसपी) की गणना की पद्धति प्रदान करेगी, जो इन खनिज ब्लॉकों की नीलामी शुरू करने के लिये जरूरी है।

राज्य सरकारों के सक्रिय सहयोग से देश में 145 से अधिक खनिज ब्लॉकों की नीलामी सफलतापूर्वक हुई। वर्ष 2021 में किये गये सुधारों से इसे और गति मिली तथा, वित्त वर्ष 2021-22 में 146 से अधिक ब्लॉकों को रखा गया। वित्त वर्ष के दौरान इनमें से 34 ब्लॉकों की नीलामी सफलतापूर्वक सम्पन्न हुई। ग्लूकोनाइट, पोटाश, एमराल्ड, प्लेटिनम समूह की धातुयें (पीजीएम), एंडेलूसाइट, सिलिमाइट और मॉलिबडेनम जैसे खनिजों की रॉयल्टी और एएसपी की स्पष्टता से नीलामी के लिये ब्लॉकों की संख्या बढ़ेगी।

ग्लूकोनाइट और पोटाश जैसे खनिजों का इस्तेमाल कृषि में उर्वरक के तौर पर होता है। प्लेटिनम समूह की धातुओं (पीजीएम) उच्च मूल्य वाली धातु है तथा उसका इस्तेमाल विभिन्न उद्योगों और नये नवोन्मेषी एप्लीकेशन में किया जाता है। एंडलूसाइट, मॉलिबडेनम जैसे खनिज, महत्त्वपूर्ण खनिज हैं तथा उद्योगों में इस्तेमाल किये जाते हैं।

इन खनिजों के स्वदेशी खनन को प्रोत्साहित करना राष्ट्र हित में है, जिससे पोटाश उर्वरकों तथा अन्य खनिजों के आयात में कमी आयेगी। खान मंत्रालय द्वारा उठाये गये इस कदम से आशा की जाती है कि खनन सेक्टर में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। इससे दैनिक उपयोग से जुड़े उद्योगों के लिये खनिजों की बढी हुई उपलब्धता सुनिश्चित होगी तथा कृषि को समर्थन मिलेगा।

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