तीन नए क्रिमिनल लॉ को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, जानें याचिका में क्या कहा गया है

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नई दिल्ली, 2जनवरी।तीन नए क्रिमिनल लॉ के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई. हाल ही में IPC, CrPC और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लेंगे. इन तीनों नए कानून के खिलाफ PIL एडवोकेट विशाल तिवारी ने दायर की है.

तीनों कानून भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन लाने का प्रयास करते हैं और इन्हें 25 दिसंबर को भारत के राष्ट्रपति की सहमति मिलने से पहले पिछले साल शीतकालीन सत्र में संसद द्वारा पारित किया गया था.

विशाल तिवारी का कहना है कि कानून कई खामियों और विसंगतियों से ग्रस्त हैं और विधि आयोग की सिफारिशों की अनदेखी की गई है.

“तीनों आपराधिक कानून बिना किसी संसदीय बहस के पारित और अधिनियमित किए गए क्योंकि दुर्भाग्य से इस अवधि के दौरान अधिकांश सदस्य निलंबित थे. इन प्रस्तावित विधेयकों का शीर्षक क़ानून और उसके मकसद के बारे में नहीं बताता है, लेकिन अधिनियमों के वर्तमान नाम प्रकृति में अस्पष्ट हैं.”

ये भी कहा गया है कि भारतीय न्याय संहिता 1860 के भारतीय दंड संहिता के अधिकांश अपराधों को बरकरार रखती है, और नई सीआरपीसी से पुलिस हिरासत की अवधि के दौरान जमानत प्राप्त करना मुश्किल हो जाएगा.

आगे की जांच के लिए बृज लाल की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति को भेजे जाने से पहले, तीन कानूनों को पहली बार 11 अगस्त, 2023 को लोकसभा में पेश किया गया था. ये बिल 20 दिसंबर को लोकसभा में और 21 दिसंबर को राज्यसभा में पारित हुआ. राष्ट्रपति की भी मंजूरी मिल चुकी है.

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