केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने आईआईटी हैदराबाद का दौरा किया; अनुसंधान, नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए कई सुविधाओं का उद्घाटन किया
श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि आईआईटी हैदराबाद विश्व स्तर पर ब्रांड इंडिया के निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाएगा, उन्होंने आईआर 4.0 और 21वीं सदी के रोजगार बाजार का फायदा उठाने के लिए आईआईटी हैदराबाद से एक विश्व स्तरीय कौशल विकास केंद्र स्थापित करने का आह्वान किया
केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज आईआईटी हैदराबाद में अत्याधुनिक सुविधाओं का उद्घाटन किया और बीवीआरएससीआईईएनटी की आधारशिला रखी। वे अपनी तरह के पहले ग्रीनको स्कूल ऑफ सस्टेनेबल साइंस एंड टेक्नोलॉजी के लिए हुए ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन का गवाह भी बने।
इस कार्यक्रम में जापान के प्रतिनिधि, बीओजी के अध्यक्ष डॉ. बी वी आर मोहन रेड्डी; जेआईसीए के मुख्य प्रतिनिधि श्री सैतो मित्सुनोरी, ग्रीनको समूह के मुख्य कार्यकारी और प्रबंध निदेशक श्री अनिल कुमार चलमालासेट्टी, स्वतंत्र निदेशक और ग्रीनको के निदेशक मंडल के अध्यक्ष श्री ओपी भट्ट, आईआईटी हैदराबाद के निदेशक प्रोफेसर बी एस मूर्ति, डीन, एचओडी, संकाय, कर्मचारी और छात्र भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
आज उद्घाटन किया गया बुनियादी ढांचा जेआईसीए के माध्यम से व्यापक भारत-जापान सहयोग के तहत परिसर विकास परियोजना का एक हिस्सा है। इस अवसर पर, आईआईटीएच ने अंग्रेजी और विदेशी भाषा विश्वविद्यालय (ईएफएलयू) के साथ एक समझौता ज्ञापन का आदान-प्रदान किया है। इसका उद्देश्य प्रख्यात वैश्विक शैक्षणिक और औद्योगिक भागीदारों के साथ आईआईटीएच में विभिन्न यूजी और पीजी कार्यक्रमों के माध्यम से आगामी वैश्विक अवसरों के लिए तैयार करने के लिए छात्रों को विदेशी भाषाओं में सिद्ध होने में मदद करना है।
श्री प्रधान ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि भारत चौथी औद्योगिक क्रांति में अग्रणी भूमिका निभाने जा रहा है और आईआईटी हैदराबाद विश्व स्तर पर ब्रांड इंडिया के निर्माण में और एक बेहतर और समृद्ध भविष्य बनाने में, विशेष रूप से अमृतकाल के दौरान एक प्रमुख भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि हमें प्रधानमंत्री के आत्म-निर्भर भारत के सपने को पूरा करना है।
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि भारत केवल उपभोक्ता देश बनकर नहीं रह सकता है। हमें आत्म-निर्भरता हासिल करने के साथ-साथ वैश्विक कल्याण को आगे बढ़ाने के लिए अपने स्वयं के मॉडल में नवीनता लाना और उसे स्थापित करना है। उन्होंने आईआईटी हैदराबाद से सामाजिक जरूरतों को पूरा करने और किफायती वैश्विक समाधान प्रदान करने के लिए अपनी भूमिका को फिर से परिभाषित करने का आग्रह किया।
केंद्रीय मंत्री श्री प्रधान ने कहा कि एनईपी 2020 नई उभरती विश्व व्यवस्था में भारत को शीर्ष पर स्थापित करने का एक रोडमैप है। उन्होंने सुझाव दिया कि आईआईटी हैदराबाद को सीमावर्ती क्षेत्रों में शिक्षा और कौशल प्रदान करने, जोखिम लेने को प्रोत्साहित करने, नौकरी चाहने वालों को नौकरी देने वाला बनाने और उत्कृष्टता के नए मानदंड स्थापित करने का प्रयास करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि कौशल विकास एक आजीवन प्रक्रिया है और एनईपी 2020 शिक्षा प्रणाली में कौशल विकास को समाहित करने पर जोर देता है। उन्होंने आईआईटी हैदराबाद और उद्योग के विशेषज्ञों को आईआर 4.0 और 21वीं सदी के रोजगार बाजारों का लाभ उठाने के लिए आईआईटी हैदराबाद में एक विश्व स्तरीय कौशल विकास केंद्र स्थापित करने का सुझाव दिया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आईआईटीएच अनुसंधान और नवाचार पर जोर देने के साथ उभरती और वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक आदर्श होगा। केंद्रीय मंत्री ने आईआईटीएच में अनुसंधान गतिविधियों को बढ़ावा देने और संस्थान को नवाचार और उद्यमिता में सबसे आगे रखने की जिम्मेदारी लेने और उदारतापूर्वक दान करने के लिए साइएंट के श्री बीवीआर मोहन रेड्डी और ग्रीनको के श्री अनिल चलमासेट्टी को धन्यवाद दिया।
डॉ. बीवीआर मोहन रेड्डी ने कहा कि उद्यमिता और जलवायु परिवर्तन दोनों ही शिक्षा मंत्री को प्रिय हैं और आज इस अवसर पर उन्हें उपस्थित देखकर खुशी हो रही है। डॉ. रेड्डी ने एनईपी 2020 को लागू करने की दिशा में शिक्षा मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आईआईटीएच में विश्व स्तरीय सुविधाएं दूरदर्शी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आत्म-निर्भर भारत के सपने को साकार करने में मदद करेंगी।
इस अवसर पर खुशी व्यक्त करते हुए प्रो. बी. एस. मूर्ति ने कहा कि आज हम आईआईटीएच की विशिष्टता देख रहे हैं, चाहे वह नवाचार पार्क हो, अनुसंधान केंद्र हो या नवाचार एवं उद्यमिता और सतत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के लिए आगामी स्कूल की नींव हो। उन्होंने कहा कि हम मंत्रालय से निरंतर मार्गदर्शन और समर्थन की आशा करते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आईआईटीएच नवाचार के क्षेत्र में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करता रहे।
संक्षेप में कार्यक्रम के प्रमुख अंश:
1. ग्रीनको स्कूल ऑफ सस्टेनेबल साइंस एंड टेक्नोलॉजी (जीएसएसएसटी) की स्थापना के लिए आईआईटीएच और ग्रीनको के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर:
भारत की अग्रणी ऊर्जा अवस्थांतर और औद्योगिक गैर-कार्बनीकरण समाधान कंपनी ग्रीनको और आईआईटी हैदराबाद ने स्थायी विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए भारत के पहले समर्पित स्कूल को लॉन्च करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। ग्रीनको स्कूल ऑफ सस्टेनेबल साइंस एंड टेक्नोलॉजी (जीएसएसएसटी) का उद्देश्य सतत विकास की अनिवार्यता के कारण बढ़ते अनुसंधान, शिक्षा और कौशल अंतराल को दूर करना है। यह स्कूल इन प्रमुख क्षेत्रों में ज्ञान को आगे बढ़ाएगा:
- जलवायु परिवर्तन को कम करना
- एआई और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी
- ऊर्जा अवस्थांतर और औद्योगिक परिवर्तन
- चक्रीय और पुनरुत्पादक अर्थव्यवस्था
- ज़ीरोसी प्रक्रियाएं, ईंधन, सामग्री और उत्पाद
- औद्योगिक पर्यावरण और शुद्ध शून्य समूह
जीएसएसएसटी इस साल के अंत में खुलेगा और बीटेक पाठ्यक्रम पूरा कर लेने वाले छात्रों को जून 2023 तक स्थायी विज्ञान और प्रौद्योगिकी में एमटेक और पीएचडी करने के लिए शामिल करेगा। जीएसएसएसटी में सफलता मिली तो इसे अन्य आईआईटी, इंजीनियरिंग कॉलेजों और बाद में पॉलिटेक्निक और स्कूलों में भी शुरू किया जाएगा। यह संयुक्त पहल अनुसंधान एवं विकास में तेजी लाने और सतत विकास के लिए शिक्षा और कौशल को प्रासंगिक बनाने के लिए ग्रीनको की अग्रणी पहल के राष्ट्रीय शैक्षिक प्रतिष्ठान के अनुमोदन को प्रदर्शित करती है। ग्रीनको शिक्षा मंत्रालय, एआईसीटीई, एनसीईआरटी और एनसीवीईटी के परामर्श से काम कर रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जीएसएसएसटी स्थायी विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सीखने के अनुरूप और आगे बढ़े।
2. बीवीआर मोहन रेड्डी स्कूल ऑफ इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप का शिलान्यास समारोह:
यह स्कूल आईआईटी हैदराबाद (आईआईटीएच) के सहयोग से साइएंट फाउंडेशन (साइएंट लिमिटेड की सीएसआर शाखा) और शिबोधी फाउंडेशन (डॉ. बीवीआर मोहन रेड्डी का पारिवारिक फाउंडेशन) की अपनी तरह की पहली पहल है। इस पहल का उद्देश्य देश की आत्म-निर्भर भारत बनने की महत्वाकांक्षा के आलोक में भारत में विश्व स्तरीय नवाचार और उद्यमशील प्रतिभा का पोषण और विकास करना है। यह स्कूल नई शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप स्नातक, परास्नातक, कार्यकारी शिक्षा, पीएचडी पाठ्यक्रम, और प्रमाणन पाठ्यक्रम सहित पाठ्यक्रमों की एक विस्तृत श्रृंखला शुरू करेगा। यह स्कूल सर्वोत्तम शैक्षणिक प्रशिक्षण प्रदान करने और आर्थिक तथा सामाजिक रूप से प्रभावशाली तकनीकी-उद्यमी उद्यम को तैयार करने के लिए एक सक्षम पर्यावरण का निर्माण करेगा। ।
3. प्रौद्योगिकी नवाचार पार्क (टीआईपी) का उद्घाटन:
14313 वर्गमीटर क्षेत्र में फैले टीआईपी भवन, जिसमें जी+5 संरचना वाले 11 ब्लॉक शामिल हैं, आईआईटीएच में ऊष्मायन (इनक्यूबेशन) गतिविधि की मदद करने के लिए तैयार है। आईआईटी हैदराबाद का आदर्श वाक्य इन्वेंटिंग एंड एनोवेटिंग इन टेक्नोलॉजी फॉर ह्युमैनिटी (आईआईटीएच) यानी मानवता के लिए प्रौद्योगिकी में आविष्कार और नवाचार करना है। आईआईटीएच के इनक्यूबेशन इकोसिस्टम का उद्देश्य व्यवहार्य तकनीकी और व्यावसायिक उपक्रमों में विचारों और नवाचारों का पोषण करना है। टीआईपी की स्थापना आईआईटीएच के इनक्यूबेशन इकोसिस्टम को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। आज तक, आईआईटीएच ने 100 से अधिक स्टार्टअप को विकसित किया है और स्टार्टअप्स को मदद करने के लिए अन्य स्रोतों से 50 करोड़ रुपये से अधिक रुपये जुटाने के साथ स्टार्टअप्स को सीधे देने के लिए 5 करोड़ से अधिक मंजूर किए हैं। अब तक, आईआईटीएस स्टार्टअप्स ने 100 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व कमाया है और 800 से अधिक रोजगार का सृजन किया है।
4. अनुसंधान केंद्र परिसर (आरसीसी) का उद्घाटन:
अनुसंधान केंद्र परिसर (आरसीसी) एक दिलचस्प अंडाकार आकार वाली पांच मंजिला (जी+4) इमारत है। इमारत का कुल आधार क्षेत्र (प्लिंथ एरिया) 12,325 वर्गमीटर है। आरसीसी का उद्देश्य अत्याधुनिक अनुसंधान उपकरणों के साथ सर्वोत्तम प्रयोगशालाओं को स्थापित करना है। यह इमारत जेआईसीए सहयोगी परियोजना का एक हिस्सा है, जिसने निर्माण और कुछ शोध उपकरणों दोनों को वित्त पोषित किया है। आरसीसी में कुल 48 प्रयोगशालाएं (लैब) हैं, जिनमें से 16 वेट लैब, 20 ड्राई लैब और ग्राउंड फ्लोर पर डबल सीलिंग हाइट वाली 2 बड़े लैब हैं। जैव प्रौद्योगिकी/जैव चिकित्सा क्षेत्र से संबंधित उच्च स्तरीय अनुसंधान करने के लिए आरसीसी भवन में एक पशु गृह भी बनाने का प्रस्ताव है।