केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत में विज्ञान को जीवन की सुगमता का एक साधन बनाने का श्रेय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को दिया
डॉ. जितेंद्र सिंह ने नई दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में पीएचडी शोध छात्र श्री सबरीश पीए की लिखित पुस्तक “ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ साइंस इन इंडिया” के विमोचन कार्यक्रम को संबोधित किया
केंद्रीय मंत्री ने भारतीय भाषाओं में अच्छी गुणवत्ता वाले वैज्ञानिक साहित्य पर जोर दिया, जो भारत और विज्ञान व प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में इसकी क्षमता की ओर विश्व को आकर्षित कर सके
भारत को इस बारे में शिक्षित होने की जरूरत नहीं है कि विज्ञान क्या है, क्योंकि प्राकृतिक रूप से भारतीयों के पास एक वैज्ञानिक स्वभाव है, जो पर्याप्त साधनों और संसाधनों के बिना भी अस्तित्व में है
यह औपनिवेशिक मानसिकता है कि हमारे संसाधनों और परिणामों के बीच कोई मेल नहीं है, जिसने हमें एक वैज्ञानिक होने के सम्मान से वंचित कर दिया है
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के कारण वैज्ञानिक होने के सम्मान की बहाली हुई है
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में पुस्तक विमोचन कार्यक्रम को संबोधित किया। अपने संबोधन में उन्होंने भारतीय भाषाओं में उच्च स्तर के प्रकाशन और अच्छी गुणवत्ता वाले वैज्ञानिक साहित्य का आह्वाहन किया, जो भारत और विज्ञान व प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में इसकी क्षमता की ओर विश्व को आकर्षित कर सके।
इस अवसर पर जेएनयू की नवनियुक्त कुलपति प्रोफेसर शांतिश्री पंडित और अन्य शिक्षक उपस्थित थे।
जेएनयू के शोध छात्र सबरीश की लिखित “ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ साइंस इन इंडिया” नामक पुस्तक का औपचारिक विमोचन करते हुए विशिष्ट अतिथि डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के शासन में विज्ञान ने न केवल मानव जीवन के हर क्षेत्र में प्रवेश किया है, बल्कि जीवन को आसान बनाने का एक साधन भी बन गया है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत एक स्थायी विचार है, जिसमें उप-विचारों की रचना करने और उत्पन्न करने की एक बड़ी क्षमता है। उन्होंने कहा कि भारत को इस बारे में शिक्षित होने की जरूरत नहीं है कि विज्ञान क्या है, क्योंकि प्राकृतिक रूप से भारतीयों का स्वभाव वैज्ञानिक है, जो पर्याप्त साधनों और संसाधनों के बिना भी अस्तित्व में है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने इसका उल्लेख किया कि हमारे संसाधन हमारी क्षमता की तुलना में अधिक हैं। उन्होंने आगे कहा कि हमने हमेशा विश्व को अनुसंधान संसाधन उपलब्ध कराए हैं। आजादी से पहले भी पश्चिमी शोधकर्ता, विशेष रूप से चिकित्सा शोधकर्ता, प्राचीन विषयों की खोज में नियमित रूप से भारत आते रहते थे और यहां पर कुछ महान खोजें की गईं।
मंत्री ने कहा, “यह औपनिवेशिक मानसिकता है कि हमारे संसाधनों और परिणाम के बीच मेल नहीं है, जिसने हमें एक वैज्ञानिक होने के सम्मान से वंचित कर दिया है।” उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को इसके लिए धन्यवाद दिया कि जब से वे प्रधानमंत्री बने हैं, इस सम्मान की बहाली हो रही है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत न केवल सबसे पुरानी बल्कि सबसे जीवंत सभ्यता है। उन्होंने कहा कि एक मानव के रूप में हम, जिसकी खोज नहीं की जा सकी है, उसकी खोज के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं।
मंत्री ने इसका उल्लेख किया कि आज के वैश्विक विकास का निर्माण विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार की नींव पर किया गया है और इसके परिणामस्वरूप उत्पन्न क्रांति ने हमें आधुनिकता की ओर बढ़ाया है। हालांकि, भारत के वैज्ञानिक अतीत की गहरी समझ से पता चलता है कि वैश्विक दार्शनिक और वैज्ञानिक उदारता की नींव भारतीय धरती पर रखी गई थी।
भारत के स्टार्ट-अप आंदोलन पर जोर देते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जेएनयू जैसे विश्वविद्यालयों को विज्ञान की खोज को सम्मान प्रदान करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।