केंद्रीय जल शक्ति मंत्री 28 फरवरी, 2022 को पूर्वोत्तर राज्यों के मंत्रियों के क्षेत्रीय सम्मेलन की अध्यक्षता करेंगे

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बजट उपरांत वेबिनार के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से प्राप्त मार्गदर्शन के आधार पर पूर्वोत्तर राज्यों के लिए रोडमैप तैयार किया जाएगा

एक स्पष्ट रोडमैप बनाया जाना चाहिए ताकि राज्य/ केंद्रशासित प्रदेश निर्धारित समय सीमा के भीतर लक्ष्य हासिल कर सकें। पूर्वोत्तर सीमावर्ती राज्यों, पर्वतीय क्षेत्रों और आकांक्षी जिलों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए – प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी

पूर्वोत्तर राज्यों में जल जीवन मिशन और स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के कार्यान्वयन पर ध्यान केंद्रित करना इस क्षेत्रीय सम्मेलन का उद्देश्य है

मणिपुर, मेघालय और सिक्किम के लिए 2022 में ‘हर घर जल’ के लक्ष्य को पूरा करना है जबकि अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, त्रिपुरा और नगालैंड के लिए 2023 का लक्ष्य है

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत 28 फरवरी, 2022 को गुवाहाटी, असम में पूर्वोत्तर राज्यों के लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी), ग्रामीण जल आपूर्ति और स्वच्छता विभाग के मंत्रियों के एक क्षेत्रीय सम्मेलन की अध्यक्षता करेंगे। क्षेत्रीय सम्मेलन जल जीवन मिशन और स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के कार्यान्वयन से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर केंद्रित होगा। बैठक को इस लिंक पर देखा जा सकता है: https://youtu.be/N2Wo8QLA6jA

23 फरवरी को आयोजित ‘केंद्रीय बजट 2022 उपरांत – लिविंग नो सिटीजन बिहाइंडक’ पर वेबिनार के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से प्राप्त मार्गदर्शन के अनुरूप श्री शेखावत पूर्वोत्तर राज्यों के लिए रोडमैप तैयार करेंगे, जहां प्रधानमंत्री ने कहा था, “एक स्पष्ट रोडमैप बनाया जाना चाहिए ताकि राज्य / केंद्रशासित प्रदेश निर्धारित समय-सीमा के भीतर लक्ष्य प्राप्त कर सकें। उत्तर-पूर्वी सीमावर्ती राज्यों, पर्वतीय क्षेत्रों और आकांक्षी जिलों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।”

दुर्गम भू-भाग, भारी बारिश और हिमपात के साथ-साथ निर्माण सामग्री की अनियमित आपूर्ति उत्तर-पूर्व के सीमावर्ती क्षेत्रों में मिशन कार्य की प्रगति को बहुत प्रभावित करती है। जन स्वास्थ्य और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के कल्याण के प्रति अपने संकल्प की पुष्टि करते हुए, जल जीवन मिशन के लिए केंद्रीय बजट 2022-23 फंड आवंटन को 2021-22 के 45,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2022-23 में 60,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के लिए बजट 2022-23 में 7,192 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

 

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हर घर जल भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसे राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों के साथ साझेदारी में लागू किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य 2024 तक देश के हर ग्रामीण घर में नल का पानी कनेक्शन प्रदान करना है। मणिपुर, मेघालय और सिक्किम के लिए 2022 में हर घर जल के लक्ष्य को प्राप्त करना है। अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, त्रिपुरा और नगालैंड द्वारा निर्धारित समय-सीमा 2023 है, असम के लिए 2024 का लक्ष्य है। स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण (एसबीएम-जी) जल शक्ति मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा एक अन्य प्रमुख कार्यक्रम है। देश के सभी राज्यों ने 2 अक्टूबर, 2019 तक खुले में शौच मुक्त का लक्ष्य प्राप्त कर लिया है, जब पूरे भारत के गांवों ने खुद को ओडीएफ घोषित कर दिया था। अपने दूसरे चरण में,  स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत खुले में शौच से मुक्ति को टिकाऊ बनाने और 2024-25 तक सभी गांवों में ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन के लक्ष्य को प्राप्त करने, यानी गांवों को ओडीएफ प्लस में बदलने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की सचिव श्रीमती विनी महाजन सम्मेलन का एजेंडा तय करेंगी, जिसमें इन दोनों कार्यक्रमों के कार्यान्वयन से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

15 अगस्त, 2019 को जल जीवन मिशन की घोषणा के बाद से, देश भर में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है और अब तक 9 करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवारों को नल के पानी के कनेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं। कोविड -19 महामारी के दौरान व्यवधानों और तालाबंदी के बावजूद, आज देश के 100 से अधिक जिलों ने हर घर जल का लक्ष्य प्राप्त कर लिया है।

उत्तर-पूर्व में कुल 43,668 गांव हैं, जिनमें से 6,798 ने हर घर जल का लक्ष्य प्राप्त कर लिया है। अब तक, कार्यक्रम के तहत, 30,196 ग्राम जल और स्वच्छता समितियों (वीडब्ल्यूएससी) का गठन किया गया है और 31,811 ग्राम कार्य योजनाएं (वीएपी) विकसित की गई हैं। पूर्वोत्तर राज्यों द्वारा जागरूकता निर्माण, सामुदायिक लामबंदी, ग्रामीण समुदायों को सहायता प्रदान करने आदि के लिए 197 कार्यान्वयन सहायता एजेंसियां ​​(आईएसए) लगी हुई हैं। इस क्षेत्र में 14 आकांक्षी जिले हैं, जहां 18.79 लाख घरों में नल के पानी के कनेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं। क्षेत्र के 68,936 आंगनवाड़ी केंद्रों में से 35,944 (52 प्रतिशत) में अब नल के पानी का कनेक्शन है। पूर्वोत्तर में 71,814 स्कूल हैं और आज की तारीख में 48,724 (68 प्रतिशत) पीने योग्य नल का पानी पीने, मध्याह्न भोजन पकाने, हाथ धोने और शौचालयों में उपयोग के लिए उपलब्ध हैं।

इसके अलावा, ‘हर घर जल’ कार्यक्रम के तहत शेष गांवों को कवर करने के लिए जलापूर्ति से जुड़ी बुनियादी सुविधाओं को लेकर योजना बनाई गई है। जल जीवन मिशन का उद्देश्य स्थानीय ग्रामीण युवाओं को राजमिस्त्री, प्लंबर, पंप ऑपरेटर, फिटर, तकनीशियन, इलेक्ट्रीशियन आदि के रूप में कौशल प्रदान करना है ताकि निर्माण, मरम्मत और रखरखाव संबंधी क्रियाकलापों में ग्राम जल योजनाओं का समर्थन किया जा सके। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा और आजीविका के लिए गांवों से लोगों का प्रवास भी रुकेगा।

 

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15 अगस्त, 2019 की स्थिति             28 फरवरी, 2022 तक की स्थिति

 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास” के दृष्टिकोण अनुसरण करते हुए, 100  जिलों, 1,150 ब्लाकों, 67,071 ग्राम पंचायतों और 1,38,655 गांवों ने ‘हर घर जल’ का लक्ष्य पूरा कर लिया है। तीन राज्यों – गोवा, तेलंगाना और हरियाणा और तीन केंद्रशासित प्रदेशों – अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, दादरा एवं नगर हवेली तथा दमन एवं दीव और पुडुचेरी ने शत-प्रतिशत नल जल कवरेज प्रदान किया है। अन्य राज्य तेजी से आगे बढ़ रहे हैं और जल्द ही शत-प्रतिशत कवरेज हासिल करने वाले हैं। इनमें से पंजाब 99 प्रतिशत, हिमाचल प्रदेश 93 प्रतिशत, गुजरात 92 प्रतिशत और बिहार 90 प्रतिशत पर है। इन सभी ने नल के पानी से हर ग्रामीण घर तक पहुंचने की समय-सीमा 2022 निर्धारित की है।

स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत, पूर्वोत्तर राज्यों ने स्वच्छता पर अच्छा काम किया है। ओडीएफ का दर्जा मिलने से लोगों को पर्याप्त स्वास्थ्य लाभ हुआ है। मिशन के तहत संसाधनों का उपयोग नए घरों के लिए व्यक्तिगत शौचालयों के निर्माण तथा बिना जगह वाले घरों के लिए सामुदायिक स्वच्छता परिसरों के निर्माण, ग्रे जल प्रबंधन प्रणाली, घर-घर जाकर कचरा संग्रहण सहित ठोस कचरा प्रबंधन, अस्थायी जनसंख्या के लिए शौचालय के निर्माणका निर्माण के लिए किया जा रहा है। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल को रोकने और मल कीचड़ के सुरक्षित निपटान के लिए भी काम किया जा रहा है। ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन की सुविधा होने से लोगों को स्थायी स्वास्थ्य और स्वच्छता से जुड़े लाभ हो का अनुभव हो सकेगा।

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