उपराष्ट्रपति ने स्थानीय निकायों को 3 एफ- फंड (निधि), फंक्शन्स (कार्य) और फंगक्शनेरीज़ (पदाधिकारी) हस्तांतरित करने का आह्वान किया
उन्होंने कहा कि ग्रामीण स्थानीय निकायों को पुनर्जीवित और संरक्षित करना होगा
स्थानीय निकायों के लिए निर्धारित निधियों में कोई परिवर्तन, कमी और विचलन नहीं होना चाहिए : उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पंचायतों के समग्र विकास हेतु ठोस प्रयास करने का आह्वान किया
उन्होंने ग्राम सभाओं में सहभागी निर्णय लेने की जरूरत पर जोर दिया
उपराष्ट्रपति ने सभी स्तरों पर पारदर्शी, जवाबदेह और कुशल शासन की आवश्यकता को रेखांकित किया
उन्होंने ‘सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण’ पर राष्ट्रीय हितधारक सम्मेलन का उद्घाटन किया
उपराष्ट्रपति, श्री एम वेंकैया नायडु ने आज ग्रामीण स्थानीय निकायों को उनके समग्र विकास और राष्ट्रीय विकास तथा सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने के लिए सशक्त बनाने हेतु 3 एफ- फंड (निधि), फंक्शन्स (कार्य) और फंगक्शनेरीज़ (पदाधिकारी) हस्तांतरित करने का आह्वान किया।
पंचायती राज मंत्रालय द्वारा ‘सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण’ पर आयोजित राष्ट्रीय हितधारक सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए, उन्होंने केंद्र सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों से जिला परिषदों से पंचायतों को 3 एफ के हस्तांतरण को सुविधाजनक बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि ग्रामीण स्थानीय निकायों को मजबूत और सशक्त बनाकर उन्हें पुनर्जीवित और संरक्षित करना होगा।
उपराष्ट्रपति ने ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए निधि आवंटन जो 10वें वित्त आयोग में 100 रुपये प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष था उसे बढ़ाकर 15वें वित्त आयोग में 674 रुपये प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष करने का उल्लेख करते हुए कहा कि धनराशि सीधे उनके खातों में जानी चाहिए और उनमें कोई परिवर्तन, कमी और विचलन नहीं होना चाहिए। इसी प्रकार जनता के लिए दिया जाने वाला हर अनुदान सीधे लाभार्थियों तक पहुंचना चाहिए।
श्री नायडु ने कहा कि यह देखते हुए कि भारत का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा ग्रामीण भारत है (2011 की जनगणना के अनुसार 68.84 प्रतिशत), राष्ट्रीय स्तर पर सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए गांवों में जमीनी स्तर पर यानी पंचायत स्तर पर कार्रवाई करने की आवश्यकता होगी।
यह देखते हुए कि देश को गरीबी से मुक्त बनाना हमारा सबसे बड़ा लक्ष्य है, श्री नायडु ने कहा कि अन्य समान रूप से महत्वपूर्ण लक्ष्यों में सभी लड़कों और लड़कियों को शिक्षा प्रदान करना, महत्वपूर्ण सेवा जैसे सुरक्षित पेयजल जैसी महत्वपूर्ण सेवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करना और पर्याप्त रोजगार के अवसर जुटाना शामिल है।
उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि देश में ग्रामीण स्थानीय निकायों के निर्वाचित 31.65 लाख प्रतिनिधियों में से 46 प्रतिशत महिलाएं हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं को विधानसभाओं और अन्य कानून बनाने वाली निकायों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘महिलाओं को सशक्त बनाना समाज को सशक्त बनाना’ है।
उन्होंने जमीनी स्तर पर सभी योजनाओं और कार्यक्रमों में जन भागीदारी का आह्वान करते हुए पंचायतों के व्यापक विकास को सुनिश्चित करने और विभिन्न लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सभी हितधारकों के ठोस प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया।
श्री नायडु ने कहा कि पंचायतों को 17 सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) पर ध्यान केंद्रित करके एकीकृत ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है, इन लक्ष्यों को गरीबी मुक्त, स्वच्छ, स्वस्थ, बच्चों के अनुकूल और सामाजिक रूप से सुरक्षित, सुशासित गांव सुनिश्चित करने के लिए नौ विषयों के तहत शामिल किया गया है।
स्थानीय शासन में लोगों की प्रत्यक्ष भागीदारी को सक्षम बनाने में ग्राम सभाओं की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख करते हुए, श्री नायडु ने कहा कि कुछ ग्राम सभाओं के कानूनी ढांचों का एक वर्ष में एक बार आयोजन आवश्यक है और इसे प्रतिपादित करने की जरूरत है।
सभी स्तरों पर पारदर्शी, जवाबदेह और कुशल शासन की आवश्यकता पर बल देते हुए, श्री नायडू ने पंचायती राज संस्थानों में स्मार्ट और सुशासन के लिए ई-ग्राम स्वराज जैसे डिजिटल समाधान प्रस्तुत करने के लिए पंचायती राज मंत्रालय की सराहना की। यह देखते हुए कि 2.38 लाख ग्राम पंचायतों ने ई-ग्राम स्वराज को अपनाया है श्री नायडु ने शासन के डिजिटल मिशन को हासिल करने के लिए सभी पंचायतों को इस मंच पर लाए जाने का आह्वान किया।
यह देखते हुए कि पंचायतें जमीनी स्तर पर नेताओं, योजनाकारों और नीति निर्माताओं के रूप में उभरी हैं, श्री नायडु ने यह विश्वास व्यक्त किया कि इनकी उपलब्धियों की एकीकरण से भारत ‘लोकल से ग्लोबल’ की सच्ची भावना में राष्ट्रीय के साथ-साथ वैश्विक लक्ष्यों को हासिल करने में सक्षम होगा।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्रीय पंचायती राज मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने कहा कि पंचायतों के विकास के बिना देश का विकास संभव नहीं है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सभी पंचायतों के लिए एक मास्टर प्लान होना चाहिए और इसे नवीनतम तकनीक का उपयोग करके तैयार किया जाना चाहिए। पंचायतों में पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्व के बारे में बोलते हुए श्री गिरिराज सिंह ने पंचायतों की योजना, बजट और लेखा के लिए विकसित ई-ग्राम स्वराज ऐप के बारे में जानकारी दी। उन्होंने सभी हितधारकों से एसडीजी लक्ष्यों को प्राप्त करने और पंचायतों को टिकाऊ बनाने के लिए साथ आने का भी अनुरोध किया।
खुले में शौच मुक्त भारत के महत्व के बारे में बोलते हुए, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, भारत ने अपनी वास्तविक समय सीमा 2030 से ग्यारह साल पहले 2019 में ही यह लक्ष्य हासिल कर लिया है। उन्होने पंचायत प्रतिनिधियों से पूर्ण स्वच्छता प्राप्त करने और अपशिष्ट प्रबंधन को अपनाने को कहा। उन्होंने कहा कि इससे कचरे को धन में बदलने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नया विश्वास पैदा करने का मौका मिलेगा। श्री शेखावत ने यह भी कहा कि मंत्रालय का लक्ष्य 2024 तक देश के प्रत्येक घर को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना है।
इस अवसर पर श्री गिरिराज सिंह, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री, श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, जल शक्ति मंत्री, श्री फग्गन सिंह कुलस्ते, ग्रामीण विकास राज्य मंत्री, श्री कपिल मोरेश्वर पाटिल, पंचायती राज राज्य मंत्री, श्री सुनील कुमार, पंचायती राज मंत्रालय में सचिव और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।