राजस्थान में कांग्रेस किस मुंह से अडानी समूह का विरोध करेगी?
नई दिल्ली, 3 फरवरी।मुख्यमंत्री अशोक गहलोत न केवल अडानी समूह को प्राकृतिक संसाधन लुटाए है, बल्कि रिलायंस समूह को भी फायदा पहुंचाने वाले निर्णय लिए हैं।
देश के प्रमुख औद्योगिक घराने अडानी समूह की कंपनियों में कथित तौर पर वित्तीय अनियमितताएं सामने आने के बाद कांग्रेस पार्टी ने देश भर में जिला मुख्यालयों पर 6 फरवरी को प्रदर्शन करने की घोषणा की है। ऐसे प्रदर्शन अडानी समूह की कंपनियों को लोन देने वाले सरकारी बैंकों और एलआईसी दफ्तर के बाहर होंगे। कांग्रेस यह विरोध प्रदर्शन लोकतांत्रिक तरीके से करेगी। लेकिन सवाल उठता है कि कांग्रेस राजस्थान में किस मुंह से अडानी समूह के खिलाफ विरोध करेगी? क्योंकि राजस्थान में कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ही अडानी को अनेक रियायत दी है। सोलर पार्क लगाने के लिए हजारों बीघा भूमि रियायती दर पर दी हे। अडानी समूह राजस्थान में बिजली भी सप्लाई करता है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कोयले की कीमतों में वृद्धि होने पर अडानी को घाटा न हो, इसलिए अनुबंध और महंगे कोयले की अंतर राशि का वाहन भी सरकार ने ही उठाया। इसके लिए उपभोक्ताओं पर प्रति यूनिट सरचार्ज लगाया गया है। इतना ही नहीं उपकरणों की खरीद पर लगने वाले जीएसटी का 75 प्रतिशत का भुगतान भी राज्य सरकार ही करेगी। एनर्जी प्रोजेक्ट में गहलोत सरकार अडानी की कंपनियों को भारी छूट दी है। जब गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ही अडानी समूह को फायदा पहुंचाने में लगी है, तब राजस्थान में 6 फरवरी को कांग्रेस किस मुंह से विरोध प्रदर्शन करेगी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, अडानी समूह के मालिक गौतम अडानी से अपनी दोस्ती छिपाते भी नहीं है। गत वर्ष गहलोत सरकार के निवेश के लिए उद्योगपतियों का जो सम्मेलन किया, उसमें गौतम अडानी को खास तौर से आमंत्रित किया गया। मंच पर गौतम अडानी को मुख्यमंत्री ने अपने पास बैठाया और अपने भाषण में गौतम अडानी की उद्यमिता की प्रशंसा की। अडानी को भरोसा दिलाया गया कि राजस्थान में लगने वाले उनके हर प्रोजेक्ट में सरकार मदद करेगी। दिल्ली में बैठ कर कांग्रेस के नेता उद्योगपति गौतम अडानी और रिलायंस के मालिक मुकेश अंबानी को चाहे जितनी गालियां दें, लेकिन राजस्थान में सीएम गहलोत इन्हीं दोनों उद्योगपतियों पर जबरदस्त मेहरबान है। मुकेश अंबानी ने राजस्थान में अपनी 5जी नेट सर्विस की लॉन्चिंग के समय भी गहलोत ने रिलायंस समूह की प्रशंसा की। इतना ही नहीं लॉन्चिंग के कुछ दिनों बाद ही मोबाइल टावरों के शुल्क में भारी कमी कर दी। यह शुल्क स्थानीय निकायों द्वारा लिया जाता है। जियो की 5जी सर्विस में कोई बाधा न हो, इसलिए नागरिकों से आपत्ति करने वाला अधिकार भी छीन लिया गया। अब मोबाइल टावर लगाने के लिए संबंधित कंपनियों को एनओसी लेने की भी जरूरत नहीं है। कंपनियां संबंधित विभाग में सूचना देकर रोड के डिवाइडर पर भी टावर लगा सकती है। बड़ी अजीब बात है कि कांग्रेस दिल्ली में अडानी अंबानी को लेकर केंद्र सरकार पर हमलावर होती है, लेकिन जब राजस्थान में इन्हीं दोनों उद्योगपतियों को राहत दी जाती है तो कांग्रेस विरोध नहीं करती है। राहुल गांधी की नजर में जब अडानी अंबानी के समूह लुटेरे हैं तो फिर कांग्रेस शासित राजस्थान में इन्हीं उद्योगपतियों को लूट की छूट क्यों दी जाती है? जब मुख्यमंत्री रहते अशोक गहलोत को कोई एतराज नहीं है, तब राहुल गांधी क्यों विरोध कर रहे हैं?